बचपन में राजस्थान के स्कूली पाठ्यक्रम में एक अध्याय पढ़ा था जो मेरे जेहन में अमिट है
प्रधानमंत्री शास्त्री जी अपने निवास (प्रधानमंत्री निवास) के लोन में पौधों के खुरपी लगा के पानी दे रहे थे उस वक़्त एक पत्रकार उनसे मिलने आया
शास्त्री जी की बनियान फटी हुई थी मन्ने एकदम जालीदार और पत्रकार हड़बड़ाहट में उनको पहचान नहीं पाया
पत्रकार ने शास्त्री जी को माली समझ के अपना परिचय देते हुए उनसे कहा साहेब से कहो मैं उनसे मिलना चाहता हूँ
शास्त्री जी मकान के अंदर
प्रधानमंत्री बनने के बाद शास्त्री जी की पत्नी व बच्चों ने उनसे कार खरीदने की ज़िद की थी …. पत्नी बच्चों की हठ के आगे झुक के शास्त्री जी ने अपने सचिव से पूछा मेरे बैंक खाते में कितने पैसे हैं ??
सचिव ने कहा सर 7000/-
फ़िएट कार उस वक़्त 12,000/- की आती थी और शास्त्री जी ने बाकी 5000/- का लोन पंजाब नेशनल बैंक दिल्ली की चांदनी चौक शाखा से उधार लिया था तब वो अपनी पत्नी बच्चों की ख्वाहिश पूरी कर पाये थे फ़िएट खरीद के
(शास्त्री जी की फ़िएट का चित्र पोस्ट में सलंग्न है)
पीएनबी का 5000/- का लोन चुकाने से पहले शास्त्री जी चल बसे प्रधानमंत्री इंदिरा ने शास्त्री जी की विधवा पत्नी लीला शास्त्री से पेशकश करी कि वो भारत सरकार के बिहाफ़ पर पीएनबी का लोन माफ करवा रही है
लीला जी ने इंदिरा जी को लोन माफी से मना कर दिया और अपने दिवंगत पति की हर माह आने वाली पेंशन से 4 साल तक किश्तें जमा कर के पीएनबी का लोन चुकाया था
यह पंजाब नेशनल बैंक की खुशकिस्मती थी कि लालबहादुर उनके ग्राहक थे
शास्त्री जी शासन (अपने प्रधानमंत्री कार्यालय) का काम अपने घर पर भी किया करते थे …. शास्त्री जी घर पर दो मोमबत्तियां रखते थे …. एक सरकारी मोमबत्ती एक निजी मोमबत्ती …. सरकारी काम के वक़्त सरकारी मोमबत्ती जलाते थे और काम खत्म हो जाने के बाद वो वाली मोमबत्ती बुझा के अपनी निजी मोमबत्ती जलाया करते थे
सर्दियों में पहनने के लिए शास्त्री जी के पास अपना कोट अपनी स्वेटर नहीं थी
नेहरू ने अपना पुराना कोट दिया था शास्त्री जी को पहनने के लिए उस कोट को शास्त्री जी ने करोल बाग के एक टेलर से अपने नाप का फीट करवाया था
पाकिस्तान के ऑपरेशन जिब्राल्टर का 1965 में शास्त्री जी ने मुंह तोड़ के जवाब दिया था …. सदियों बाद भारतीय सेना अपना बॉर्डर क्रॉस कर के शत्रु की मांद में घुसी थी …. पाकिस्तान का जबड़ा चिर के शास्त्री जी ने विजय-श्री का वरण भारत को करवाया था
ताशकंद समझौते पर शास्त्री जी जब जा रहे थे तो चिंतित पत्नी ने कहा एक नया कोट ले लो वहां सर्दी बहुत पड़ती है
शास्त्री ने पत्नी के सर पर हाथ फेरते हुए कहा …. अभी हमारे देश के वित्तीय हालात ठीक नहीं है …. अमेरिका ने गेंहू भेजना बन्द कर दिया है देश की जनता सप्ताह में एक दिन उपवास करती है …. युद्ध में देश की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई है …. एक काम करो मेरा पुराना वाला कोट (नेहरू वाला) धो के तुरपाई कर दो जरा सी सिलाई उधड़ गयी है उसकी
शास्त्री जी पुराना वाला सेकंड-हैंड कोट पहन के ताशकंद गए थे लेकिन ये देश का दुर्भाग्य था कि वहां से उनकी पार्थिव देह ही वापस भारत आयी थी
प्रयागराज में आज भी एक दीवार ऐसी है जो 60 वर्ष बाद भी शास्त्री जी के लिए जनता से वोट मांग रही है ….
यह दीवार प्रयागराज के खिलौना बाजार में है
खिलौना बाजार के लोकनाथ इलाके की कोतवाली की एक दीवार पर लाल रंग से आज भी पुता हुआ है
आप अपना अमूल्य वोट श्री लालबहादुर शास्त्री को दें चुनाव चिन्ह दो बैलों की जोड़ी (कांग्रेस)
यह दीवार गवाह है उस दौर की जब प्रयागराज का जनसमूह शास्त्री जी के साथ था
शास्त्री जी 1957 और 1962 में प्रयागराज से सांसद चुने गए थे यह प्रयागराज और शास्त्री दोनों का सौभाग्य था
1965 में शास्त्री जी ने पाकिस्तान को धूल चटा दी थी
1965 में भारत पाक के बीच युद्ध के दौरान प्रयागराज जिले के करछना विधानसभा के उरुवा ब्लॉक में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए शास्त्री जी ने देश से पहली बार कहा था
जय जवान जय किसान
यह नारा हमेशा के लिए भारतीय राजनीति में अमर हो गया था/है ….
प्रयागराज के अलावा शास्त्री जी का सम्बन्ध काशी से भी था ….
जो महान लोग होते हैं दुनियां उनको सदैव याद करती है ….
इतिहास सबका आंकलन करता है!! ….
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